नई दिल्ली/EROS TIMES: क्रिएटिव कंसेप्ट्स फिल्म्स ने आज दिल्ली से एक महत्वपूर्ण यात्रा की शुरुआत की। यह एक महत्वपूर्ण यात्रा है जो दिल्ली से रवाना होकर 23,000 किलोमीटर की दूरी तयकरेगा। इसे जेन वी कहा जाएगा। लंदन तक की यात्रा के दौरान इस टीम के लोग एशिया और यूरोप के 23 देशों से होते हुए गुजरेंगे और फिल्म क्षेत्र के लोगों से मिलेंगे उन्हें जानेंगे और फिल्म उद्योग कोइस स्तर पर समझने के प्रयास करेंगें।
यात्रा की शुरुआत के मौके पर आज का आयोजन गुरुद्वारा नई दिल्ली में बांग्ला साहेब जी के मुख्य गेट पर सवेरे 11:30 बजे एक आयोजन हुआ। यह अशोक रोड की तरफ वाईडब्ल्यूसीए बिल्डिंग केपास स्थित है। इस मौके पर दिल्ली सुख गुरदवारा प्रबंधक समिति के सरदार मंजीत सिंह, जीके, मुख्य अतिथि थे।
धर्म प्रचार कमेटी के राणा परमजित सिंह भी इस मौके पर मौजूद थे।
इस यात्रा पर फिल्म के प्रोड्यूसर अमरजीत सिंह चावला, निर्देशक करण दार्रा, डीओपी लुकमान मलिक और चालक निदि तिवारी
इस यात्रा पर जाने वालों में करण दार्रा वा प्रोड्यसर अमरजीत सिंह चावला भी हैं। इसके अलावा जो अन्य लोग शामिल थे उनमें चालक निधि तिवारी भी हैं।
इस परियोजना का नाम है जेन वी (जेनरेशन वीडियो)। यह एक ऐसी श्रृंखला है जो चार बागियों के जोखिमों
और अनुभवों को दर्ज करेगा। ये ऐसे बागी हैं जो मानते हैं कि दुनिया विजुअल कंटेंट का उपयोग करता है और इसकी रचना करता तथा अच्छे के लिए बदल रहा है। इस तरह, आज की नई पीढ़ी कोअवंत गार्डे फिल्म निर्माता के रूप में स्थापित किया जा रहा है।
इस मौके पर मुख्य अतिथि मंजीत सिंह जी जीके ने कहा, “ऐसा अक्सर नहीं होता है कि आपको किसी ऐतिहासिक कार्यक्रम में आमंत्रित किया जाए। इस परियोजना ने मुझे अवधारणा के चरण से हीउत्साहित किया है और मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि अब यह एक वास्तविकता बन रही है।”
क्रिएटिव कंसेप्ट्स फिल्म्स के संस्थापक श्री अमरजीत सिंह चावला ने कहा, “मैं इस यात्रा को लेकर बेहद उत्साहित हूं क्योंकि यह बिल्कुल वैसी ही परियोजना है जिसके लिए मैंने अपनी कंपनी,क्रिएटिव कंसेप्ट्स फिल्म्स की स्थापना की है।”
निर्देशक करण दार्रा ने कहा, “मैं मुख्यधारा के फिल्मनिर्माण क्षेत्र से आता हूं और मैंने अपना काम यहीं सीखा है पर जबसे मैंने स्वतंत्र रूप से कंटेंट तैयार करने के क्षेत्र को जानना शुरू किया है, इससेअच्छा कुछ भी नहीं महसूस हुआ है।”
वीमेन बेयांड बाउंड्रीज की संस्थापक निधि तिवारी ने इस बारे में कहा, “मैंने इस रूट (यूरो एशिया ट्रेल) पर पहले भी यात्रा की है पर तब ऐसा कोई मकसद नहीं था। मैं सड़क पर वापस यह देखने के लिएनहीं जा सकता कि सब कुछ कैसे चल रहा है।”
लुकमान मलिक. डीओपी ने कहा, “पहली बार जब मुझे इस परियोजना के बारे में बताया गया तो मैं इस पर यकीन नहीं कर पाया। अब जब वास्तविकता यहां है तब भी मैं इसपर विश्वास नहीं कर पारहा हूं।”
इस टीम के लोगों की मुलाकात गुजरने वाले हरेक देश में मुख्यधारा के फिल्म निर्माताओं से लेकर स्वतंत्र फिल्म पेशेवरों से होगी। वहां ये इनसे बातीत करेंगे और जानना चाहेंगे कि इस डिजिटलजमाने में फिल्म की संस्कृति उसे देखना और तैयार करना – वह भी अलग-अलग देशों में कैसा है। यह यू ट्यूब पर छोटी सामग्री के जरिए है या फिर डायरेक्ट टू डिजिटल स्ट्रीमिंग प्लैटफॉर्म जैसेनेटफ्लिक्स और अमैजन प्राइम पर लंबी सामग्री है।
जैसा कि शाहरुख खान ने खुद कहा है, “डिजिटल विश्व में आईडिया के आसान प्रवाह के कारण सत्ता या ताकत सिर्फ बड़े प्रोडक्शन संस्थान के हाथों में सीमित नहीं रहेगी।”