दिल्ली:EROS TIMES: पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन ने ई-वेस्ट प्रबंधन नियमों तथा निर्माण एवं विध्वंस कचरा प्रबंधन नियमों की समीक्षा की ।राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के माननीय पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन ने ई-वेस्ट प्रबंधन नियमों तथा निर्माण एवं विध्वंस कचरा प्रबंधन नियमों की समीक्षा की । बैठक में पर्यावरण विभाग एवं दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के वरिष्ठ अधिकारियो ने भाग लिया ।
बैठक के दौरान अधिकारियों ने बताया कि पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार ने संशोधित ई-वेस्ट (प्रबंधन) नियम 2016 अधिसूचित किए हैं जोकि 1.10.2016 से प्रभावी है। इन नियमों के अनुसार इलैक्ट्रीकल एवं इलैक्ट्रोनिक उत्पादों का प्रत्येक निर्माता ई-वेस्ट के हैडलिंग एवं प्रबंधन हेतु एक्सटेंडिड प्रोडयूसर रिस्पोन्सिबिलिटी (ईपीआर) के लिए आवेदन कर सकता है।
इलैक्ट्रोनिक कचरे में पुराने/इस्तेमाल में न लायें जाने वाले मोबाईल फोन, रेफ्रिजरेटर , इलैक्ट्रोनिक कार्यालय उपकरण, कम्पयूटर, टेलीविजन सेट एवं इलैक्ट्रोनिक इन्टरटेनमेंट डीवाईस शामिल है।
ईपीआर ई-वेस्ट को संग्रह करने के लिए केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्धारा दिया गया अधिकार-पत्र है। यह अधिकार-पत्र पांच वर्षो के लिए दिया जाता है और ईपीआर प्राप्त करने के लिए निर्माता को ई-वेस्ट संग्रह करने, संग्रह का माध्यम, संग्रह केन्द्रो का विवरण एवं संग्रह के लिए जिम्मेदार एजेन्सी इत्यादि की विस्तृत योजना प्रस्तुत करनी होती है।
डीपीसीसी ने बताया कि वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए ईपीआर अधिकार पत्र में बताई गई शर्तो के अनुपालन की जांच हेतु उत्तरदायी है। पुनः बताया गया कि वर्तमान में दिल्ली में ई-वेस्ट का निस्तारण करने एवं रीसाइक्लिंग की अनुमति नहीं है। डीपीसीसी के अधिकारियों ने बताया कि आज तक केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में 47 उत्पादकों को ईपीआर अधिकार पत्र दिया है।
माननीय मंत्री जी ने निर्देश दिया कि डीपीसीसी यह सुनिश्चित करें कि दिल्ली में ई-वेस्ट का निस्तारण एवं रीसाइक्लिंग न हो, क्योंकि दिल्ली में ई-वेस्ट प्रबंधन ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है इस तथ्य के मददेनजर कि इलैक्ट्रोनिक, टेलीकम्यूनिकेशन एवं कम्पयूटर डीवाईस का उपयोग लगातार कई गुणा बढ़ गया हैं जिसके फलस्वरूप पुराने एवं इस्तेमाल में न लाये जाने वाले इलैक्ट्रोनिक एवं इलैक्ट्रीकल उपकरणों की संख्या भी बढ़ी है।
माननीय मंत्री जी ने निर्माण एवं विध्वंस कचरा प्रबंधन नियम 2016 की कार्यप्रणाली की भी समीक्षा की । डीपीसीसी के अधिकारियों ने बताया कि यह नियम भी प्रदूषण एवं कचरा प्रबंधन के मामलों को प्रभावी ढ़ग से सुलझाने के लिए पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्धारा 2016 में अधिसूचित किए गए है । माननीय मंत्री जी को यह भी सूचित किया गया कि नये नियमों का उददेश्य निर्माण एवं विध्वंस के कचरे के अंधाधुंध निस्तारण को रोकना है और ये ऐसे कचरे को पुनः प्रयोग एवं लाभदायक तरीके से रीसाइक्लिंग के लिए तथा इन्हें चैनलीकरण के योग्य बनाऐगें ।
निर्माण एवं विध्वंस कचरा प्रबंधन नियम 2016 का उददेश्य निर्माण एवं विध्वंस कचरे के वैज्ञानिक प्रबंधन में जनता की भागीदारी को बढ़ावा देना भी है। यह नियम निर्माण एवं विध्वंस कचरे के विभिन्न वर्गो में वर्गीकरण निर्धारत करते है जिससें कि उसमें से ओरगेंनिक कचरा कम्पोसटिंग के लिए प्रयोग किया जा सकें, हाई केलोरीफिक कचरा उर्जा के उत्पादन के लिए प्रयोग की जा सकें, स्टील एवं कंकरीट पुनः प्रयोग की जा सकें इत्यादि ।
मंत्री जी को यह भी बताया गया कि निर्माण एवं विध्वंस कचरा प्रबंधन नियम 2016 की नीति बनाने की प्रक्रिया अभी दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग के पास चल रही है। डीपीसीसी की भूमिका यह सुनिश्चित करने की है कि जिन संयंत्रों को निर्माण एवं विध्वंस कचरे की प्रांेसेसिंग के लिए अधिकार पत्र दिया गया है, वे इस बारे में विभिन्न पर्यावरण नियमों एवं निर्धारित माप-दण्डों का पालन करें ।
डीपीसीसी ने यह भी बताया कि वर्तमान में 2 संयंत्र कार्यरत है, एक जहांगीरपुरी तथा दूसरा शास्त्री पार्क में है।
मंत्री जी ने निर्देश दिया कि डीपीसीसी निर्माण एवं विध्वंस कचरे के प्रबंधन में लगे संयंत्रों द्धारा पर्यावरण नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करें ।
मंत्री इमरान हुसैन ने इन नियमों केे व्यापक प्रचार की आवश्यकता पर बल दिया ताकि जनता को ई-वेस्ट एवं निर्माण एवं विध्वंस कचरे के वैज्ञानिक निस्तारण एवं प्रबंधन के बारे में जागरूक किया जा सकें ।