नोएडा:EROS TIMES: आरएचएएम (रोटरी हेल्थ अवेयरनेस मिशन) द्वारा मंगलवार को नोएडा सेक्टर-62 स्थित पिनाकल टावर के सातवें फ्लोर पर थैलेसीमिया पर सेमिनार का आयोजन किया गया।
इस दौरान थैलेसीमिया के बारे में लोगों को जागरूक किया गया। मुख्य अतिथि रोटरी डिस्ट्रिक गवर्नर 2020-21 रो.अशोक अग्रवाल, आरएचएएम के चेयर डा.धीरज भार्गव व रोटरी डिस्ट्रिक 3011 की चेयर थैलेसीमिया डाक्टर तेजिंदर सिंह ने सेमिनार का शुभारंभ किया।
डा.धीरज भार्गव ने बताया कि बुधवार को यहीं पर ब्लड डोनेशन कैंप का भी आयोजन किया जाएगा।
इस दौरान जो भी थैलेसीमिया का टेस्ट कराएगा उसका टेस्ट निशुल्क किया जाएगा।
जबकि बाजार में इस टेस्ट की कीमत एक हजार से 1500 के बीच है।
सेमिनार को संबोधित करते हुए डिस्ट्रिक 3011 चेयर थैलेसीमिया डा.तेजिंदर सिंह ने बताया कि थैलेसीमिया एक अनुवांशिक रोग है।
इस रोग में लाल रक्त कण नहीं बन पाते हैं और जो बन पाते है वो कुछ समय तक ही रहते है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को बार-बार खून चढ़ाना पड़ता है।
ये रोग अनुवांशिक होने के कारण पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है।
यह रोग काफी कष्टदायक होता है। थैलेसीमिया के रोगियों की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही है।
वर्तमान में प्रतिवर्ष 10 हजार थैलेसीमिया के मरीज बढ़ रहे है। दस वर्ष पूर्व यह संख्या 2 हजार प्रतिवर्ष थी। थैलेसीमिया दो तरह का होता है एक माइनर और दूसरा मेजर।
दुनिया की कुल आबादी में 20 फीसदी लोग माइनर थैलेसीमिया से ग्रसित है। लेकिन जांच के अभाव में उन्हें इस संबंध में जानकारी नहीं मिल पाती है।
फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन भी थैलेसीमिया माइनर है।
उन्होंने बताया कि सामान्य रूप से शरीर में लाल रक्त कणों की उम्र करीब 120 दिनों की होती है।
परंतु थैलेसीमिया के कारण इनकी उम्र सिमटकर मात्र 20 दिनों की हो जाती है। हीमोग्लोबीन की मात्रा कम हो जाने से शरीर दुर्बल हो जाता है। सामान्यतः एक स्वस्थ मनुष्य के शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या 45 से 50 लाख प्रति घन मिलीलीटर होती है।
लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण लाल अस्थि मज्जा में होता है। इन कोशिकाओं में केंद्रक नहीं होते हैं एवं इनकी जीवन अवधि 120 दिनों तक ही सीमित होती है।
रोटरी हेल्थ अवेयरनेस मिशन के चेयर डा.धीरज भार्गव ने सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों में रोग के लक्षण जन्म से 4 या 6 महीने में ही नजर आने लगते हैं। बच्चे की त्वचा और नाखूनों में पीलापन आने लगता है। आंखें और जीभ भी पीली पड़ने लगती है। उसके ऊपरी जबड़े में दोष आ जाता है।
दांत उगने में काफी कठिनाइयां होने लगती हैं। त्वचा पीली, यकृत और प्लीहा की लंबाई बढ़ने लगती है तथा बच्चे का विकास एकदम रुक जाता है।
यदि माता-पिता थैलेसीमिया माइनर हैं, तब बच्चों को इस बीमारी की आशंका अधिक रहती है। अगर माता पिता में किसी एक को यह रोग है तो बच्चे में रोग के मेजर होने की आशंका नहीं रहती।
माइनर का शिकार व्यक्ति सामान्य जीवन जीता है और उसे कभी इस बात का आभास तक नहीं होता।
निजी पैथोलॉजी से थैलेसीमिया जांच कराने पर एक हजार से 1500 रुपए खर्च करने पड़ते हैं, लेकिन आरएचएएम द्वारा यह जांच निशुल्क की जाएगी। बुधवार को यहां पर सुबह 10 से शाम 5 बजे तक ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया जाएगा।
इस दौरान कोई भी आकर थैलेसीमिया का निशुल्क टेस्ट करा सकता है। इस टेस्ट का पूरा खर्च रोटरी हेल्थ अवेयरनेस मिशन वहन करेगा।
रोटरी डिस्ट्रिक गवर्नर 2020-21 रो.अशोक अग्रवाल ने कहा कि जिस प्रकार थैलेसीमिया मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। उसके अनुसार हमें जागरूक होने की जरूरत है।
जिस प्रकार हम शादी से पूर्व लड़का-लड़की की कुंडली मिलाते है उसी प्रकार हमें शादी से पूर्व थैलेसीमिया का भी टेस्ट कराना चाहिए।
जिससे पता चल सके कि कोई इस रोग से तो पीड़ित नहीं है।
इस दौरान असिस्टेंट गवर्नर जोन-11 रो. प्रशांत राज शर्मा, रो.सुरेंद्र शर्मा, डा.रूचि, नवीन, वरूण आदि ने भी सेमिनार को संबोधित किया।