नोएडा:EROS TIMES: उत्तर प्रदेश में अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए योगी सरकार मकोका की तर्ज पर यूपीकोका (UPCOCA) ला रही है। ये विधेयक मंगलवार को यूपी विधानसभा में पारित हो गया।
इस नए सख्त कानून के तहत अंडरवर्ल्ड, जबरन वसूली, जबरन मकान और जमीन पर कब्जा, वेश्यावृत्ति, अपहरण, फिरौती, धमकी, तस्करी, जैसे अपराधों को शामिल किया जाएगा।
भारत में महाराष्ट्र के बाद उत्तर प्रदेश दूसरा ऐसा प्रदेश है, जहां इतना सख़्त कानून लागू किया जाने की तैयारी चल रही है। यूपीकोका यानी उत्तर प्रदेश कंट्रोल ऑफ आर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट के तहत निम्नलिखित प्रावधान हैं:-
किसी भी तरह का संगठित अपराध करने वाला व्यक्ति इस कानून की जद में आएगा।
इस कानून के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को 6 महीने तक जमानत नहीं मिलेगी।
इस कानून के तहत केस तभी दर्ज होगा, जब आरोपी कम से कम दो संगठित अपराधों में शामिल रहा हो। उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई हो।
यूपीकोका में गिरफ्तार अपराधी के खिलाफ चार्जशीट दाख़िल करने के लिये 180 दिन का समय मिलेगा। अभी तक के कानूनों में 60 से 90 दिन ही मिलते हैं।
यूपीकोका के तहत पुलिस आरोपी की रिमांड 30 दिन के लिए ले सकती है, जबकि बाकी कानूनों में 15 दिन की रिमांड ही मिलती है।
इस कानून के तहत कम से कम अपराधी को पांच साल की सजा मिल सकती है। अधिकतम फांसी की सजा का प्रावधान होगा।
इतने सख्त कानून का दुरुपयोग ना हो, ये तय करने के लिए यूपीकोका के मामलों में केस दर्ज करने और जांच करने के लिए भी अलग नियम बनाये गए हैं।
राज्य स्तर पर ऐसे मामलों की मॉनिटरिंग गृह सचिव करेंगे।
मंडल के स्तर पर आईजी रैंक के अधिकारी की संस्तुति के बाद ही केस दर्ज किया जाएगा।
जिला स्तर पर यदि कोई संगठित अपराध करने वाला है, तो उसकी रिपोर्ट कमिश्नर, डीएम देंगे।
यूपीकोका संगठित अपराध के खिलाफ पुलिस को बहुत से अधिकार देता है। यूपीकोका के सेक्शन 28 (3ए) के अंतर्गत बिना जुर्म साबित हुए भी पुलिस किसी आरोपी को 60 दिनों तक हवालात में रख सकती है।
आईपीसी की धाराओं के तहत गिरफ्तारी के 60 से 90 दिनों के अन्दर चार्जशीट दाखिल करनी होती है, वहीं यूपीकोका में 180 दिनों तक बिना चार्जशीट दाखिल किए आरोपी को जेल में रखा जा सकेगा।
इस नए कानून में जेल में बंद कैदियों से मिलने के लिए भी बहुत सख्ती है. सेक्शन 33 (सी) के तहत किसी जिलाधिकारी की अनुमति के बाद ही यूपीकोका के आरोपी साथी कैदियों से मिल सकते हैं, वो भी हफ्ते में केवल एक से दो बार।
यूपीकोका की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट होगा, उम्र कैद से लेकर मौत की सजा का।
बीते शीतकालीन सत्र के दौरान ही योगी सरकार इस बिल को मंजूर कराना चाहती थी। लेकिन इसकी कवायद शुरू होते ही विपक्ष ने इस कानून का विरोध करना शुरू कर दिया था। विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी का कहना था, कि इस कानून का दुरूपयोग सरकार विरोधियों को दबाने के लिए कर सकती है। बहरहाल, उत्तर प्रदेश सरकार इस बार संशोधन के साथ इस बिल को पास करा चुकी है।