दिल्ली में हुए उक्त दो दिवसीय सम्मेलन में (डब्ल्यू.टी.ओ.) से भारत देश को आजादी का मुद्दा उठाया गया

EROS TIMES:  विश्व परिवर्तन मिशन के तहत संयुक्त राष्ट्र संघ (यू.एन.ओ.) के स्थान पर संयुक्त राष्ट्र सरकार (यू.एन.जी.) बनाए जाने की मांग को लेकर दिल्ली के आई.टी.ओ. स्थित प्यारे लाल भवन के महात्मा गांधी सभागार में विश्व के विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में दिनांक 24 और 25 अक्टूबर को हुए दो दिवसीय सम्मेलन में पास किए गए वर्ल्ड पार्लियामेंट और साउथ एशियन कंट्रीज पार्लियामेंट के प्रस्ताव पास किए जाने के बाद आज चिटहैरा गांव में मीटिंग के लिए पहुंची विश्व परिवर्तन मिशन की टीम ,
ग्रेटर नोएडा से सैकड़ों किसानों एवं महिलाओं ने दर्ज कराई अपनी उपस्थिति।

किसान नेता सुनील फौजी एडवोकेट ने बताया कि दिल्ली में हुए उक्त दो दिवसीय सम्मेलन में (डब्ल्यू.टी.ओ.) से भारत देश को आजादी का मुद्दा उठाया गया क्योंकि WTO से मुक्त हुए बगैर यूरोप एवं अन्य महाद्वीप के देश तो पूरी आजादी से बिना किसी बाधा के हमारे देश में व्यापार कर सकते हैं लेकिन हमारे देश को आयात, निर्यात पर टैक्स भरने होते हैं, तथा WTO के ही दबाव के कारण किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य और उनकी जमीन पर लगने वाली विदेशी कंपनियों से “लीज/करार” अथवा उचित मुआवजा एवं पुनर्वासन के कानूनी लाभ भी नहीं मिल पा रहे हैं विश्व परिवर्तन मिशन के नेता विश्वात्मा उर्फ भरत गांधी ने कहा कि उनकी टीम ने विश्व के कई देशों में जनजागरण अभियान चलाया हुआ है जिसमें अलग अलग देशों से UNO की जगह पूरे विश्व की एक सरकार बनाए जाने को भारी समर्थन मिल रहा है। टीम के सदस्य शिवाकांत गोरखपुरी एवं महेश सिंह और धर्मेंद्र गुप्ता ने बताया कि वैश्विक आर्थिक असमानता के कारण शक्तिशाली हुए देशों द्वारा दुनिया के अन्य देशों की जमीन हथियाकर उन्हें गुलाम बनाए जाने के लिए UNO की कोई बात सुने बगैर उन पर जबरन युद्धों में धकेलने वाले देशों पर लगाम लगाए जाने के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर की समस्याओं गरीबी, आतंकवाद, भ्रष्टाचार, असमानता, भुखमरी, कुपोषण, महामारी, प्रदूषण और महंगाई तथा वैश्विक स्तर पर नियंत्रण नहीं होने के कारण चोरी छुपे न्यूक्लियर वेपन्स (परमाणु बम) तक बनाने और फिर उन्हें हासिल करके एक दूसरे देश को परमाणु युद्ध की धमकी देने या परमाणु हथियार का इस्तेमाल करने जैसी पूरी सृष्टि तथा मानवता के लिए बहुत ही गम्भीर व खतरनाक समस्याओं से निजात दिलाने का मुद्दा भी मुख्य रहा क्योंकि कोई भी देश सिर्फ अपने देश के कानून से आसानी से किसी आतंकवादी, भ्रष्टाचारी को आसानी से लम्बे समय तक पकड़ नहीं पाता है और ऐसे लोग अन्य देशों में छिपकर इस तरह की गतिविधियों को चलाते रहते हैं या कुछ देश तो षडयंत्र के तहत, विश्व में अशांति फैलाने वाले ऐसे अपराधियों को एक दूसरे को सौंपने की बजाय उनका संरक्षण करने लगते हैं तथा उक्त अन्य बड़ी समस्याओं पर भी एक्शन नहीं ले पा रहा है। वैश्विक स्तर पर कानून बनाया जाना अति आवश्यकता है क्योंकि उदाहरण के तौर पर हर देश के कानून या संविधान में उस देश के नागरिकों के जीवन की सुरक्षा का अधिकार वहां की सरकारें देती तो हैं, परन्तु किसी आतातई देश द्वारा यदि उस राष्ट्र पर आक्रमण हो जाता है और वह बहुत ही घातक हथियार इस्तेमाल करने लगे तो आक्रमण को झेलने वाले राष्ट्र के अपने बने हुए नियम कानून उस देश की जनता को बचा नहीं पाते हैं जैसा कि वर्तमान में कई युद्धरत देशों के बड़े बड़े क्षेत्रों को खंडहर में तब्दील होते हुए तथा आम जनता को मरते हुए देखा जा सकता है) तथा विश्व में शान्ति स्थापित करने वाली “सभी देशों की एक संयुक्त सरकार” अर्थात UNO (संयुक्त राष्ट्र संघ) की जगह UNG (संयुक्त राष्ट्र सरकार) जो कि जिस प्रकार एक देश की सरकार के साथ ही उसके अंतर्गत आने वाले प्रदेशों की सरकारों के साथ समन्वय बनकर प्रदेशों या राष्ट्रीय स्तर की समस्याओं का निदान किया जाता है ठीक उसी प्रकार देशों की सरकार के साथ साथ एक अंतरराष्ट्रीय सरकार जो देशों और पूरे विश्व की समस्याओं का समाधान कर सके, को बनाए जाने की मांग को लेकर हुए सम्मेलन में संयुक्त किसान मोर्चा, जय जवान जय किसान मोर्चा के वॉलंटियर्स ने भी भाग लिया। 23, 24 अक्टूबर को दिल्ली में हुए सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय पार्लियामेंट सहित साउथ एशियन कंट्रीज पार्लियामेंट पर हुई चर्चा और पास किए गए प्रस्तावों के बाद आज दादरी (ग्रेटर नोएडा) के चिटहैरा गांव में हुए मीटिंग।

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