Eros Times: एमिटी विश्वविद्यालय ने अर्जेटीना के ब्यूनस आयर्स विश्वविद्यालय के साथ कृषि के क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये है इसीके अंर्तगत आज ज्ञान को साझा करने के लिए इंडो अर्जेटीना वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार में अर्जेटीना दूतावास के मंत्री – एग्रीकल्चर एटैचे श्री मारियानों बेहरान, एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला, एफएयूबीए के विकास एंव संस्थागत मामलों के सचिव डा गुस्तावो श्राउफ, यूबीए की कोरपोरेशन एंव द्विपक्षीय संबंध विभाग की प्रमुख सुश्री मारिया सोल गैली, एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती और एमिटी फूड एंड एग्रीकल्चर फांउडेशन की महानिदेशक डा नूतन कौशिक ने जानकारी प्रदान की।
अर्जेटीना दूतावास के मंत्री – एग्रीकल्चर एटैचे श्री मारियानों बेहरान ने कहा कि भारत में लगभग 4500 वर्षो से कृषि कार्य हो रहा है जबकी अर्जेटीना में मात्र 200 वर्षो से कृषि हो रही है, इसके उपरांत भी कृषि के क्षेत्र में सहयोग, शोध व नवाचार दृष्टिकोण दोनो देश के प्रख्यात विश्वविद्यालयो एमिटी और ब्यूनस आयर्स विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों को एक मंच पर लाया है। श्री बेहरान ने कहा कि मेरा कार्य भारत एवं कृषि से अपने देश के सहयोग को विकसित करना है। मै पांच वर्षो तक भारत में रहा और वहां के किसानो, शिक्षा जगत के लोगों से मुलाकात की। इस प्रकार के वेबिनार दोनो विश्वविद्यालय के शोधार्थियों और छात्रों के लाभदायक होगें।
एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला ने कहा कि यह आपसी सहयोग भारत और अर्जेटीना के विश्वविद्यालयों सहित उद्योगों को आपसी सहयोग के लिए प्रेरित करेगा। अनुसंधानों को उद्योगों तक ले जाने की आवश्यकता है इसलिए अनुसंधान को देशों के लक्ष्यों के अनुरूप होना चाहिए। एमिटी हमेशा परिणामन्मुखी रहा है इसलिए जिस क्षण कोई सहयोग होता है तो उसके साथ परिणाम प्राप्त करने की प्रतिबद्धता रहती है। हमें विश्वास है कि इस सहयोगात्मक अनुसंधान से न केवल भारत बल्कि ब्यूनस आयर्स विश्वविद्यालय के कृषि विश्वविद्यालय और उनकी अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी।
एफएयूबीए के विकास एंव संस्थागत मामलों के सचिव डा गुस्तावो श्राउफ ने कहा कि हमें उम्मीद है कि यह गतिविधि दोनो संस्थानों के मध्य अधिक शैक्षणिक और अनुसंधानिक सहयोग ला सकती है।
एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने कहा कि भोजन और पोषण की मांग को पूरा करने के कृषि क्षेत्रों मे नये सहयोग एंव नई नीतियों की आवश्यकता है जिसके लिए देशो एवं उनके संस्थानों के मध्य इस प्रकार के सहयोग को और अधिक विकसित कर परिणाम आधारित बनाने होगे। हमे उत्पादकता बढ़ाने के साथ, माइक्रोबियल प्रौद्योगिकी पर ध्यान केन्द्रीत करने की आवश्यकता है। उन्होने जीनोम इंजीनियरिंग, टिश्शु कल्चर सहित कृषि में आधुनिक तकनीकी जैसे एआई, डेटा एनालिटिक्स आदि के उपयोग पर अनुसंधान विकसित कर रहे है।
एमिटी फूड एंड एग्रीकल्चर फांउडेशन की महानिदेशक डा नूतन कौशिक ने स्वागत करते हुए कहा कि वर्तमान में भारत में अर्जेटीना से दालें एवं सोयाबीन तेल आयात हो रहा है और कुछ वस्तुआंे का निर्यात भी किया जा रहा है। कृषि के क्षेत्र में सहयोग के लिए हस्ताक्षर समझौता ज्ञापन के ंअर्तगत आयोजित इस वेबिनार से दोनो देशों के कृषि क्षेत्र में संचालित अनुसंधान की जानकारी साझा होगी। इस अवसर पर डा कौशिक ने ‘‘जैवविविधता में बायोप्रोस्पक्टिंग’’ पर व्याख्यान दिया और कहा कि भारत को भविष्य में और अधिक एंडोफाइटिक प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता है।
इस अवसर पर ब्यूनस आयर्स विश्वविद्यालय के कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जार्ज ज़वाला ने ‘‘कीड़ो के हमले के खिलाफ फसल की सुरक्षा’’ पर, एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी की एसोसिएट प्रोफेसर डा सुष्मिता शुक्ला ने ‘‘बागवान और औषधिय पौधों का इन विट्रो पुनर्जनन और बड़े पैमाने पर गुणन टिकाउ कृषि की दिशा में एक महत्वपूर्ण साधन पर’’ और आईएनबीए निदेशक प्रोफेसर गेरार्डो रूबियों द्वारा ‘‘अर्जेटीना की कृषि में अनाज और गेहंू के अलावा और भी है’’ पर व्याख्यान दिया।