दिल्ली:EROS TIMES: शीला दीक्षित के मार्गदर्शन पर विधिक एवम मानवाधिकार विभाग, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों ने एडवोकेट सुनील कुमार, चैयरमैन, विधिक एवम मानवाधिकार विभाग के नेतृत्व मे मुजफ्फरपुर बिहार मे चमकी बुखार से हो रही बच्चों की मौत को लेकर आज राष्ट्रिय बाल अधिकार संरक्षक आयोग मे शिकायत दर्ज की ओर मांग की कि इस महामारी की विफलता के लिये दोषी अधिकारीयों के विरूध कानुनी कार्यवाही की जाये ओर पीड़ित परिवार को उचित मुवावजा दिया जाये।
एडवोकेट सुनील कुमार ने अपनी शिकायत मे आयोग से मांग की कि इस महामारी को रोकने के लिये केंद्र सरकार ओर राज्य सरकार को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी नियमो के अनुरुप जागरूकता ओर टीकाकरण अभियान जारी करने के लिये दिशा निर्देश दिये जिससे की भविष्य मे इस महामारी से बच्चे अकाल मृत्यू का शिकार ना बने।
एडवोकेट सुनील कुमार ने इस अवसर पर कहा की जब एक बच्चे की चमकी से मौत की पहली सूचना आई तो सरकार ने एतिहतान कोई भी कदम नही उठाये। उसके बाद बच्चे लगातार मरते रहे।
स्थानीय मीडिया बीमार बच्चों के दम तोड़ते, अस्पतालों की भयावह कुव्यवस्था एवं डॉक्टरों, नर्सों से लेकर दवा तक के अभाव की खबरें देता रहा, लेकिन सरकार के कानों तक जूं नहीं रेंगी। पिछले एक दशक मे इस बिमारी ने हजारों की संख्या मे देश के नौनिहालों की जिंदगी को लील लिया है लेकिन लगता ही नहीं कि प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार एवं विशेषकर स्वास्थ्य मंत्रालय को इससे कोई लेना-देना भी है।
एडवोकेट सुनील कुमार ने ज्ञापन मे कहा की डॉक्टरों , चिक्तिसा सुविधाओं, गहन चिकित्सा इकाई तथा अन्य चिकित्सा उपकरणों की कमी के कारण बिहार के मुजफ्फर पुर जिले व उसके आस पास के क्षेत्रों मे बच्चे अपनी जान गवां रहे हैं। उन्होने कहा की केंद्र व राज्य सरकारें बिहार मे चमकी बुखार को लेकर जागरूकता फैलाने मे बुरी तरह से असफल रहे हैं जबकि इस बिमारी के कारण बच्चो की मौत का सिलसिला प्रतिवर्ष जारी है।
सुनील कुमार ने आगे कहा की बिहार सरकार 2015 मे यूनिसेफ की सलाह पर बनाये गये स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर का पालन नही कर रही है। उन्होने कहा की बिहार सरकार बाल पौषण तथा उनके स्वास्थ्य मे वर्धन करने मे विफल रही है।
एडवोकेट सुनील कुमार ने कहा की दोनो राज्य व केंद्र सरकारे बच्चों के जीने के अधिकार की सुरक्षा करने मे अपने लापरवाही के कारण नाकामयाब रही हैं जबकि बच्चों की मौते इस बिमारी के कारण प्रतिवर्ष हो रही हैं ओर इसके बाबजूद की भारतीय संविधान मे स्वास्थय को मौलिक अधिकार का दर्जा दिया हुआ है।