EROS TIMES: एमिटी विश्वविद्यालय के नैचुरल रिर्सोस एंड एनवंायरमेंटल सांइसेस डोमेन द्वारा सात दिवसीय वन महोत्सव मनाया जा रहा है जिसके अंर्तगत छात्रों को पर्यावरण एंव वृक्षारोपण के प्रति जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम जैसे वेबिनार, निबंध लेखन, स्लोगन लेखन और पोस्टर निर्माण प्रतियोगिताओं, जलवायु परिवर्तन पर कार्यशाला एवं पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन भी किया जायेगा।
इसी वन महोत्सव के अंर्तगत आज एमिटी में ‘‘भविष्य को हरित बनाये – शहर में गर्मी कम करने के लिए वनरोपण रणनीतियां’’ पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार में हरियाणा के पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक डा आर के सपरा (सेवानिवृत्त आइएफएस), पंजाब के पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री विद्या भूषण कुमार (सेवानिवृत्त आइएफएस) और एमिटी स्कूल ऑफ नैचुरल रिर्सोस एंड संस्टेनेबल डेवलमेंट के निदेशक डा एस पी सिंह ने भी अपने विचार रखें। वेबिनार का संचालन एमिटी लॉ स्कूल की एसोसिएट प्रोफेसर डा सुमित्रा सिंह द्वारा किया गया।
हरियाणा के पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक डा आर के सपरा (सेवानिवृत्त आइएफएस) ने कहा कि वर्तमान में, उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में भीषण गर्मी पड़ रही है, कई शहरों में अधिकतम तापमान दर्ज किया गया है। इससे निर्जलीकरण, गर्मी से ऐंठन, गर्मी से थकावट और हीट स्ट्रोक की घटनाओं में और वृद्धि हुई है, जलाशयों में पानी का स्तर कम हो गया है, एयर कंडीशनिंग और प्रशीतन का उपयोग बढ़ गया है, जिससे बिजली की कटौती हो रही है, डेयरी पशुओं से दूध की उपज कम हो गई है, आम में उत्पादकता में 50-60ः की कमी आई है। उन्होंने कहा कि यदि तापमान 2 डिग्री सेल्सियस बढ़ता है, तो कृषि फसलों की उत्पादकता 10 प्रतिशत कम हो जाएगी। डॉ. सपरा ने दिल्ली में हीट आइलैंड प्रभाव के कारण और इसके प्रभाव को बताते हुए कहा कि समस्या से निपटने का एकमात्र समाधान पेड़ लगाना है इसकी तुलना पाँच औसत कमरे के एयर कंडीशनर से की गई है, जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 2500 किलो कैलोरी/घंटा है, जो प्रतिदिन 20 घंटे चलते हैं। तापमान में कमी से न केवल ऊर्जा का उपयोग कम होता है, बल्कि वायु की गुणवत्ता में भी सुधार होता है, क्योंकि ओजोन का निर्माण तापमान पर निर्भर करता है
रणनिती निर्धारक एवं संरक्षक विद्या भूषण कुमार (सेवानिवृत्त आइएफएस) ने अपने विचारों को साझा करते हुए कहा कि अनियोजित और दोषपूर्ण नियोजन ने वेंटिलेशन, वर्षा जल संचयन प्रणाली और हरियाली के लिए उचित स्थान पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है, जिसके परिणामस्वरूप उच्च तापीय सूचकांक और शहरी गर्मी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र की किडनी हैं जो प्रतिकूल वातावरण को साफ कर सकती हैं और प्रणाली में जल संसाधनों को बनाए रख सकती हैं। शहरों के आसपास उपलब्ध अधिकांश तालाबों/आर्द्रभूमि पर अतिक्रमण कर लिया गया है और बिना किसी वर्षा जल संचयन के प्रावधान के कंक्रीट की ऊंची इमारतें बन गई हैं। सभी रास्तों के कंक्रीटीकरण और सीमित वनस्पति के कारण भी यह बढ़ गया है। प्रत्येक भवन में जल संचयन प्रणाली के प्रावधान की बेहतर योजना और सख्त प्रवर्तन के लिए संबंधित अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है, शहरी गर्मी को कम करने के लिए उपयुक्त वास्तुशिल्प डिजाइन और सभी खाली जमीनों पर पेड़, झाड़ियाँ, पेड़-पौधे और फलों के पौधे लगाएं जो पक्षियों को पाल सकें और परागण और बीजों के फैलाव में मदद करें। इसके अलावा, वर्षा जल संचयन प्रणाली, मृदा एवं जल संरक्षण, उचित हवादार भवन डिजाइन आदि की स्थापना के बेहतर कार्यान्वयन के लिए संबंधित प्राधिकरण को विशिष्ट प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया जाना चाहिए।
एमिटी स्कूल ऑफ नैचुरल रिर्सोस एंड संस्टेनेबल डेवलमेंट के निदेशक डा एस पी सिंह ने कहा कि इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य लोगों में उत्साह और जागरूकता पैदा करना है। इस त्यौहार के दौरान, एमिटी के प्रत्येक छात्र, शिक्षक और कर्मचारी से पूरे वन महोत्सव सप्ताह के दौरान एक पौधा लगाने और इसे अगली पीढ़ी को सौंपने की अपेक्षा की जाती है। वन महोत्सव सप्ताह हमें याद दिलाता है कि हमें वनों की रक्षा करनी चाहिए और वनों की कटाई को रोकना चाहिए और मुख्य 3 नियम प्रदूषण कम करना, पुनः उपयोग करना और पुनर्चक्रण का पालन करना चाहिए। वृक्ष हमारे लिए ऑक्सीजन निर्माण करते जो कि व्यक्ति के जीवन हेतु सबसे आवश्यक है। एमिटी हर वर्ष छात्रों को जागरूक करने के लिए इस वन महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन करता है।
इस अवसर पर एमिटी स्कूल ऑफ नैचुरल रिर्सोस एंड संस्टेनेबल डेवलमेंट की डा माया कुमारी और डा लोलिता प्रधान भी उपस्थित थी।