
EROS TIMES: महिला छात्रों और कर्मचारियों के लिए सुरक्षित कार्यस्थल बनाने के लिए यूजीसी के दिशा निर्देेशों को पालन करते हुए एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी वूमेन हेल्प डेस्क द्वारा आज लैंगिक संवेदनशीलता और यौन उत्पीड़न की रोकथाम के बारे में जागरूकता’’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में किशोर न्याय बोर्ड की सदस्य लक्ष्मी रानी, एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डॉ. बलविंदर शुक्ला, एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ बिहेवियरल हेल्थ एंड एलाइड सांइसेस की निदेशक डॉ. कल्पना श्रीवास्तव और एमिटी विश्वविद्यालय के इंटरनल कंप्लेन कमिटी की चेयरपरसन डॉ. सुजाता खंडाई ने अपने विचार रखे।
किशोर न्याय बोर्ड की सदस्य लक्ष्मी रानी ने लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) पर जानकारी देते हुए कहा कि पॉक्सो एक्ट को निर्भया केस उपरांत लागू किया गया जिसके नियम बच्चों को शारीरिक, भावनात्मक या यौन शोषण से बचाने के उद्देश्य से बनाए गए थे, साथ ही एक्ट के सभी चरणों में बच्चों के हितों की रक्षा भी की गई थी। उन्होनें कहा कि जब भी कोई छात्र आपके पास अपने साथ हुए अपराध या घटना की जानकारी लेकर आता है चाहे वह घटना पांच वर्ष पूर्व ही क्यो ना हुई हो तो उसकी जानकारी अपने क्षेत्र के पुलिस स्टेशन या किशोर न्याय बोर्ड को प्रदान करें। छात्र से लिखित में शिकायत ले और उसे हमसे साझा करें। उन्होनें कहा कि पॉक्सों के तहत जिसके साथ अपराध हुआ है और जिस पर अपराध करने का आरोप है दोनो की कांउसलिंग की जाती है। कई बार संज्ञान में आने के बावजूद लोग इस प्रकार की घटना की जानकारी नही देते क्योकी उन्हे लगता है पुलिस उनके घर आयेगी या उन्हे बार बार पूछताछ के लिए जाना होगा किंतु ऐसा नही है आपको एक बार पूछताछ के लिए आना होगा। पॉक्सो एक्ट के विक्टीम हेतु कानूनी सहायता और पुर्नवास के लिए फंड भी प्रदान किये जाते है। इस दौरान उन्होनें उदाहरणों सहित विस्तृत जानकारी प्रदान की।
एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डॉ. बलविंदर शुक्ला ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए कें कानून के बारे में जागरूकता पैदा करना और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना है। यह कार्यशाला लैंगिक रूप से संवेदनशील स्थानों और काम करने के लिए सुरक्षित कार्यस्थलों को सक्षम करने के लिए बातचीत में संलग्न होने में भी मदद करेगी। कार्यशाला का उद्देश्य लैंगिक रूप से संवेदनशील व्यवहार और यौन उत्पीड़न से संबंधित कानून के बारे में जागरूकता पैदा करना है, ताकि लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक कार्यस्थल बनाए रखा जा सके। डॉ. शुक्ला ने कहा कि इस संर्दभ में एमिटी विश्वविद्यालय ने इंटरनल कंप्लेन कमिटी और एमिटी वूमेन हेल्प डेस्क के निर्माण से अपनी स्पष्ट नीति बनाई है और अगर कोई मामला संज्ञान तो उस त्वरित और उचित कार्रवाई की जाती है।
एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ बिहेवियरल हेल्थ एंड डॉ. सांइसेस की निदेशक कल्पना श्रीवास्तव ने ‘‘ लैंगिक संवेदनशीलता और कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम’’ के संर्दभ मे जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि लैंगिक संवेदनशीलता और कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम एक ही सिक्के के दो पहलू है। यह याद रखना बेहद आवश्यक है कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न, महिलाओं के जीवन, स्वंतत्रता और समानता के अधिकारों का हनन है। इसकी रोकथाम के लिए सक्रिय दृष्टिकोण अपनाना होगा। यह हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि कानूनों को जाने और सजग रहे साथ ही लोगो को जागरूक करें।
एमिटी विश्वविद्यालय के इंटरनल कंप्लेन कमिटी की चेयरपरसन डॉ. सुजाता खंडाई ने कहा कि महिलाओं और बालिकाओं के संपूर्ण विकास के लिए कार्यस्थल एवं परिसर में लैंगिक संवेदनशीलता और यौन उत्पीड़न की रोकथाम पर जागरूकता कार्यक्रम आवश्यक है जिससे वे स्वंय को सुरक्षित महसूस करें और अगर कोई अप्रिय घटना होती है तो वहां किससे शिकायत करें उन्हे इसकी जानकारी रहे।
इस अवसर पर एमिटी वूमेन हेल्प डेस्क की चेयरपरसन डॉ. अल्पना कक्कड और को चेयरपरसन डॉ. निरूपमा प्रकाश ने सेवंदनशीलता पर विश्वविद्यालय सहायता प्रणाली आदि पर विस्तृत जानकारी प्रदान की। इस अवसर पर कार्यशाला में बड़ी संख्या में शिक्षकों और स्टाफ सदस्यों ने हिस्सा लिया।