Eros Times: प्रौद्योगिकी विकास तभी सार्थक है जब उसका उत्पाद बन कर लाभ लोगों तक पहुंचे, इसीलिए एमिटी विश्वविद्यालय, वैज्ञानिकों और शोधार्थियों को ना केवल अनुसंधान व नवाचार के लिए प्रेरित करती है बल्कि उद्यमियों को प्रौद्योगिकी को उत्पाद बनाने के लिए प्रोत्साहित भी करती है। आज इसी क्रम में एमिटी विश्वविद्यालय में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती की उपस्थिती में एमिटी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों डा प्रियंका नारद और डा अभिषेक सेनगुप्ता की विकसित की गई प्रौद्योगिकी ‘‘एआई बेस्ड सॉफ्टवेयर फॉर मेल फर्टीलिटी डिटेक्शन’’ को पुणे के एपीएस लाइफ टेक के संस्थापक व चेयरमैन डा पारितोष सरकार को हस्तांतरित किया गया। इस प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते पत्र पर एमिटी विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा आर के कपूर और पुणे के एपीएस लाइफ टेक के संस्थापक व चेयरमैन डा पारितोष सरकार ने हस्ताक्षर किये।
पुणे के एपीएस लाइफ टेक के संस्थापक व चेयरमैन डा पारितोष सरकार ने कहा कि एमिटी के साथ इस समझौते पत्र पर हस्ताक्षर कर बेहद प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हंू। वर्तमान में पुरूष बांझपन बढ़ रहा है और हमारा लक्ष्य इस प्रौद्योगिकी को अन्य देशों में भी निर्यात करना जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि यह अधिकतम लोगों तक पहुंचे। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण बहुत सावधानी से किया जाना चाहिए कि यह ध्यान में रखते हुए कि प्रौद्योगिकी का अंतिम उपयोगकर्ता को क्या लाभ प्राप्त होगा। बाजार का विश्लेषण करना नई तकनीकों को विकसित करने का पहला कदम है। अगर आपके पास आईडिया है तो उस पर कार्य करें, असफल होगें लेकिन अगर आप कार्य करते रहेगें तो एक दिन अवश्य सफल होगें क्योकी असफलता हमें समझाती है कि तकनीक मे क्या कमियां है। भविष्य अनुसंधान व नवाचार पर आधारित है और केवल अनुसंधान, नवाचार व प्रौद्योगिकी को आत्मसात करने वाली कंपनिया ही भविष्य में सफल होगी।
एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने कहा कि इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों की मौजूदगी हमें नये उत्साह का संचार करती है। डीएसटी द्वारा पहला प्रौद्योगिकी सक्षम केंद्र एमिटी विश्वविद्यालय में स्थापित किया गया था जिसका उददेश्य प्रौद्योगिकियों का विकास और हस्तांतरण के लिए इकोसिस्टम का निर्माण करना था। एमिटी पेटेंट, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, अनुसंधान परियोजनाओं और पेपर प्रकाशनों के माध्यम से ज्ञान सृजन में दृढ़ता से विश्वास करती है। एमिटी सदैव देश को महाशक्ति बनाने के लिए छात्रों को शोध हेतु प्रोत्साहित करता है।
एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ बायोटेक्नेालॉजी के वैज्ञानिकों डा प्रियंका नारद और डा अभिषेक सेनगुप्ता ने विकसित की तकनीक ‘‘एआई बेस्ड सॉफ्टवेयर फॉर मेल फर्टीलिटी डिटेक्शन’’ के संर्दभ में जानकारी देते हुए कहा कि यह तकनीक वाई क्रोमोसोम माइक्रोडिलिशन के साथ पुरूषों में एआरटी सफलता की पूर्व सूचना देता है और यह सूचना मशीन लर्निंग एलगॉरिथम के माध्यम से प्राप्त होती है। यह एक उपयोगी अनुकूल उत्पादक उपकरण है जो चिकित्सकों, अनुवंशिकीविदो और मरीजों को वाई क्रोमोसोम माइक्रोडिलिशन होने पर स्चचलित टर्मिनल मान्यता के परिणाम जानने की अनुमति देता है। सॉफ्टवेयर अधिक सटिक रूप से प्रजनन क्षमता के स्तर को पता लगाने में सहायक होगा।
डीएसटी – एमिटी टेक के डायरेक्टोरेट ऑफ इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की सिनियर डिप्टी डायरेक्टर डा मीनाक्षी कनौजिया ने स्वागत करते हुए कहा कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में देश को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए इस प्रकार अकादमिक एवं उद्योगों का साथ आवश्यक है।
इस अवसर पर ‘‘ विश्वविद्यालय पारिस्थितिकी तंत्र में प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर को बढ़ाने की रणनीतियां’’ विषय पर परिचर्चा सत्र का आयोजन किया गया जिसमें अन्ना विश्वविद्यालय के बायोमेडिकल इंजिनियरिंग विभाग की प्रोफेसर डा एम शशीकला, पुणे के एपीएस लाइफ टेक के संस्थापक व चेयरमैन डा पारितोष सरकार, एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती और डीएसटी – एमिटी टेक के डायरेक्टोरेट ऑफ इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की सिनियर डिप्टी डायरेक्टर डा मीनाक्षी कनौजिया ने अपने विचार रखे। परिचर्चा को संबोधित करते हुए अन्ना विश्वविद्यालय के बायोमेडिकल इंजिनियरिंग विभाग की प्रोफेसर डा एम शशीकला ने कहा कि हर प्रोजेक्ट मे ंहम तकनीकी विकास करने वाले वैज्ञानिकों, अकादमिकों और उद्यमियों को सहयोगी बनाते है। जब हम तकनीक प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर को बढ़ाना चाहते तो हमें हर स्तर पर कार्य करना होगा। हमें बहुविषयक आधारित टीम विकसित करनी होगी। केवल तकनीकी विकास तक सीमित नही होना है उसका उत्पाद बनना आवश्यक है जिसके लिए उद्योगों का साथ जरूरी है।
कार्यक्रम के अंर्तगत व्याख्यान सत्र का आयोजन भी किया गया जिसमें भारत सरकार के विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी विभाग की तकनीकी विकास एवं हस्तांतरण डिविजन की प्रमुख डा अनिता अग्रवाल, एमिटी फांउडेशन फॉर साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन एलायंस के डिप्टी डायरेक्टर जनरल डा नीरज शर्मा और सीनियर वाइस प्रेसीडेंट डा ए के सिंह ने अपने विचार रखे।
भारत सरकार के विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी विभाग की तकनीकी विकास एवं हस्तांतरण डिविजन की प्रमुख डा अनिता अग्रवाल ने संबोधित करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर, तकनीकी के स्तर की व्याख्या करती है। उद्योग में प्रौद्योगिकियों को स्थानतरित करते समय एक समग्र दृष्टिकोण अनिवार्य है जिसमें विनिर्माण तत्परता स्तर और समाजिक तत्परता स्तर भी शामिल है। हर तकनीकी को विभिन्न दृष्टिकोण से देखे और आकंलन करें कि प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर को बढ़ाने के लिए और क्या जोड़ा जा सकता है।
इस अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय के हैल्थ एंड एलाइड साइंस के डीन डा बी सी दास और एमिटी विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक उपस्थित थे।