राँची:EROS TIMES: झारखंड के बरही निवासी सामाजिक कार्यकर्ता संजय मेहता के पत्र पर केंद्रीय मंत्रालय ने गंभीरता दिखायी है।
संजय मेहता की शिकायत पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने राज्य सरकार को महिला एवं बाल कल्याण पर उचित कदम उठाने का आदेश दिया है। मामला सारंडा एवं पश्चिमी सिंहभूम के आदिवासियों के कल्याण से जुड़ा है।
कब-कब क्या हुआ
संजय ने केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय को 08 अक्टूबर 2019 को सारंडा एवं पश्चिमी सिंहभूम की समस्या पर एक विस्तृत पत्र लिखा।
05 नवंबर 2019 को पत्र पर कार्रवाई करते हुए केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय के निदेशक रूपक चौधरी ने झारखंड सरकार के कल्याण विभाग के प्रधान सचिव को एक पत्र लिखकर कार्रवाई करने को कहा।
पत्र पर 18 नवंबर 2019 को केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय के अवर सचिव के चंद्रशेखर ने भी संज्ञान लिया।
17 दिसंबर को पुनः भारत सरकार के अवर सचिव लक्ष्मी चंद ने झारखंड सरकार के महिला , बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के सचिव को पत्र लिखकर कदम उठाने को कहा।
झारखंड सरकार को क्या लिखा है केंद्रीय मंत्रालय ने
झारखंड सरकार को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 17 दिसंबर को एक पत्र लिखा है। यह पत्र झारखंड सरकार के महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के सचिव को लिखा गया है।
पत्र में संजय मेहता की शिकायत का संदर्भ दिया गया है।
साथ ही राज्य सरकार को केंद्रीय वित्त घोषित योजनाओं के तहत इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट स्कीम पर ध्यान आकर्षित करवाया गया है।
कुपोषण, पोषण, गर्भवती महिला, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वास्थ्य जाँच, टीकाकरण के संदर्भ में संजय ने शिकायत की थी।
केंद्रीय मंत्रालय ने अतिशीघ्र इन विषयों पर कदम उठाकर राज्य सरकार को कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
क्या कहते हैं संजय मेहता
संजय मेहता ने कहा कि पश्चिमी सिंहभूम एवं सारंडा जंगल के आदिवासियों की स्थिति काफी बदतर है। उनलोगों तक सरकारी सुविधाएं नहीं पहुँच पा रही है. सरकार को हमने लिखा था।
कार्रवाई हुई है, अब उम्मीद जगी है।
उम्मीद करता हूँ राज्य की नई सरकार आदेश का पालन करते हुए इसका समाधान करेगी। राज्य की नौकरशाही को भी गंभीर होने की जरूरत है।
जब तक आम लोगों तक सुविधा नहीं पहुँचेगी यह प्रयास जारी रहेगा।
आम लोगों का कल्याण जनकल्याणकारी सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
संजय ने उम्मीद जतायी की जल्द ही अब लोगों की समस्या का समाधान होगा।